हार से सबक ले भाजपा


शिवेश मिश्रा

पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों ने भाजपा को करारा झटका दिया है। हर चुनाव में परचम लहराने वाली पार्टी को ऐसे राज्यों में हार मिली जहां भाजपा की सरकारें थीं और भाजपा का संगठन भी मजबूत था। इन राज्यों में भाजपा की हार होना बहुत बड़ी बात है। इस हार पर भाजपा को मंथन करने की जरूरत है क्योंकि हार बहुत बड़ी है। ये केवल मुख्यमंत्रियों की हार नहीं बल्कि इस हार की जिम्मेदारी मोदी और शाह की भी है। जिस तरह 2014 के चुनाव में गलत नीति और तुष्टीकारण की राजनीति ने कांग्रेस को डुबोया उसी तरह आज भाजपा को करारी शिकस्त मिली। विकास को आगे कर 2014 और उसके बाद प्रचंड जीत दर्ज करने वाली पार्टी ने जैसे ही दलित तुष्टीकरण के रास्ते चुनावी रण फतह करने की सोची, जनता ने उसका जवाब दिया। दलित वोटबैंक साधने की रणनीति भाजपा के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना साबित हुआ।

एससी/एसटी एक्ट, आरक्षण पर बयान, एक वर्ग को नज़रंदाज़ करने वाले कदम के कारण भाजपा ने अपने परंपरागत वोटरों को नाराज़ कर दिया जिसका नतीजा सामने है। जिस दलित को खुश करने के लिए बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदला उसी एससी/एसटी बहुल राज्यों में भाजपा को पटखनी खानी पड़ी। इन सब के अलावा राम मंदिर, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी हार का कारण बने। हर चुनाव केवल सपनों और वादों से नहीं जीती जा सकता। खुद को हिन्दू हितैषी बताने वाली पार्टी ने राम मंदिर पर लोगों को ठगा। स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाएं भी अभी यथार्थ से परे हैं। किसानों को फसल के उचित दाम नही मिल रहे। लेकिन, इन सब के बीच अगर आप नेताओं के गोत्र पर चुनाव लड़ेंगे, जनता को सिर्फ सपने दिखाएंगे तो ऐसी हार झेलने के लिए तैयार रहिये। इसलिए, भाजपा हार से सबक ले और जनता के हित और कल्याण के लिए काम करे।


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