भारतवर्ष में कदापि रामराज्य की स्थापना अभी बाकी है...


Akhil Bharatiya ram rajya paresad... - Akhil Bharatiya ram rajya ...



महाराष्ट्र के पालघर और यूपी के बुलंदशहर की घटना पर आधारित:-

(भानु प्रताप सिंह) 
 दिल्ली- 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों के अपने अपने मतभेद जरूर रहे, लेकिन 2019 में फिर से देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही देश की डोर सौंपने का निर्णय लिया। लोगो के खयालात इस तरह से बदल चुके थे कि जनता को सिर्फ मोदी ही मोदी नज़र आ रहे थे, और उसकी वजह कहीं न कहीं भाजपा की सत्ता में बरकरार रहने की राजनीति और रणनीति में अयोध्या राम मंदिर ही था। जिन बातों को सुनकर लोग कहते थे कि अब रामराज्य आने वाला है। यहाँ तक कि सत्ता पक्ष के नेताओं और उनके समर्थकों ने ये नारे तक लगाए कि अब रामराज्य आ चुका है । इससे पहले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली तो कहा गया कि अब तो हमारे प्रदेश का राजा सन्यासी है, अब हमारे राज्य में रामलला विराजमान होंगे रामराज्य हो जाएगा। अभी हाल फिलहाल में ही महाराष्ट्र में भी भगवाधारी नेता (उद्धव ठाकरे)  ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और एक ऐसा इंसान जिसे हमेशा हिंदूवादी नेता माना गया। जो हमेशा रामराज्य लाने की बात करता रहा।

ऐसे राज्यों में सन्यासियों की हत्या हो जाती है, और कुछ असभ्य राजनैतिक तत्व उस घटना पर अपनी रोटियां सेंकते है, और रामराज्य का दावा करने वाले लोभी सत्ताधारी किसी पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर पाते।

हमारा रामराज्य ऐसा तो नहीं था, नहीं हुई कभी भी हमारे राम राज्य में एक भी संत की हत्या। नहीं की थी हमारे भगवान राम ने इतनी देरी किसी को न्याय देने में। हमारे राम राज्य में किसी का मानवता के अलावा दूसरा धर्म तो नहीं था।

फिर क्यों बदनाम कर रहे हैं, ये कुछ सत्ता के लोभी हमारे राम राज्य को।

महाराष्ट्र के पालघर में दो संतो की हत्या हुई, तो किसी ने ये नही कहा कि ये सिर्फ दोषी है, इन्होंने वो अपराध किया है जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता, किसी भी नेता का ये बयान नही आया कि कौन हैं ये दुराचारी चलिए हम मदद करते हैं सरकार की इन्हें पकड़ने में, किसी वकील ने ये नही कहा होगा कि हम इनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करेंगे, लेकिन अफ़सोस कि हमारे भारतवर्ष में तो होड़ लगी है ये गिनाने में कि पालघर घटना की भीड़ में फलां धर्म के कितने लोग थे, तुम्हारी पार्टी के कौन कौन थे, उसकी पार्टी के कितने लोग थे, अरे हमारी पार्टी के लोग तो नहीं थे वहां पर, हां एक दो थे लेकिन वो उस भीड़ में शामिल नहीं थे।

अभी 15 दिन भी नहीं बीते कि यूपी के बुलन्दशहर में दो साधुओं की हत्या का मामला सामने आते ही राजनीतिक दलों के पेट में चूहे दौड़ने लगते हैं और एक दूसरे की राजनीतिक पार्टियों पर, धार्मिक संगठनों पर, धार्मिक स्थलों पर आवागमन करते समूहों पर , या फिर जाति-धर्म के नाम पर लोगों की पहचान कर दी जाती है।

भारतवर्ष की पुण्य धरा पर जन्म दिया है मुझे मेरे भगवान राम ने। लेकिन बहुत दुःखी मन से कहना पड़ रहा है कि ये रामराज्य कदापि नहीं हो सकता। क्योंकि हमारे रामराज्य में तो साधु संतों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, उनकी पूजा अर्चना की जाती है, हमारे रामराज्य में तो सिर्फ एक ही धर्म है- मानवता का। हमारे रामराज्य में तो न्याय में देरी होना भी अन्याय माना जाता है।
अभी भारतवर्ष में कदापि रामराज्य की स्थापना बाकी है।
।। जय भारत माता, जय श्री राम ।।

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