एक ऐसा डॉक्टर जो पैसे नहीं बल्कि कूड़ा-कचरा के बदले करता है इलाज




अंजली सिंह

लोग स्वच्छता को लेकर नए-नए तरीके अपनाते हैं, नए-नए अभियान चलाते हैं, अनेकों तरह की योजनाएं बनाते हैं। और इसमें पता नहीं कितने रुपयों का खर्चा जाता है। फिर भी यह कुछ प्रतिशत ही सफल हो पाता है। भारत में पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत की लेकिन उसे राजनीतिक नजरिये से देखा गया। जिसकी वजह से यह पूरी तरह से सफल नहीं हो सका। और तो और पीएम मोदी के इस स्वच्छता अभियान को लेकर रोज कोई कोई सवाल उठते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे जो किसी भी राजनीतिक पार्टी  से ताल्लुक नहीं रखता, बल्कि पेशे से एक डॉक्टर है। जिसने स्वच्छता के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। हम जिसके बारे में आपको बता रहे  हैं वह महज 26 साल का इंडोनेशियाई युवा डॉक्टर है। जिसका नाम गमाल अल्बिनसईद है। गमाल की सोच ने पर्यावरण और स्वास्थ्य की समस्या का  एक ऐसा हल निकाला है जिससे इंडोनेशिया में स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसी बड़ी समस्याओं का निवारण हुआ है।
दरअसल डॉक्टर गमाल अपने गरीब मरीजों से इलाज के पैसों की जगह उनके घर से कूड़ा-कचरा लेते है। डॉक्टर गमाल की इस सोच ने विश्व भर में पर्यावरण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। डॉ गमाल का यह आइडिया इंडोनेशिया की दो बड़ी समस्याओं के लिए मददगार साबित हो रहा है। इंडोनेशिया में बहुत से ऐसे गरीब लोग हैं जो गरीबी के कारण स्वास्थ्य संबंधी सुबिधाओं से वंचित रह जाते हैं ऐसे गरीबों के लिए डॉ गमाल का यह कार्यक्रम  गार्बेज क्लिनिकल इंश्योरेंस (जीसीआई)  मुहैया कराता है। डॉ गमाल द्वारा घर से ले जाये गए कचरे का इंश्योरेंस कराया जाता है। इसके लिए कचरे को फिर से उपयोग में लाने के लिए क्लिनिक में जमा कराया जाता है जहाँ से कचरे में से प्लास्टिक, पॉलीथिन और अन्य काम की चीजों को छांटकर संम्बन्धित कंपनी में भेज दिया जाता है। जहां से उसे फिर उपयोग करने योग्य बनाया जाता है। इसके अलावा बचे हुए कचरे को उर्वरक और खाद बनाने में प्रयोग किया जाता है। आपको बता दें कि जो भी क्लीनिक में कचरा देता है उसके बदले वह दो महीने तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा सकता है।
डॉ गमाल को उनके द्वारा चलाये गए स्वास्थ्य अभियान और उनके द्वारा उठाए गए इस कदम से प्रसन्न होकर उन्हें कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। सन् 2014 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने डॉ गमाल को सम्मानित किया था।
आपको बता दें कि इंडोनेशिया भी भारत की तरह पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। वहां हर साल समुद्र के आसपास के इलाकों में पैदा होने वाला लगभग 25 लाख टन कचरा समुद्र के किनारे इकट्ठा होता है। जोकि पर्यावरण को पूरी तरह से दूषित करने के लिए काफी है लेकिन डॉ गमाल ने दुनिया को बता दिया है कि  किस तरह से  पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।

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