जानिए क्यों सबके दिल को भा जाती है दिल्ली


 
DELHI CITY
अंजली सिंह

चाहें कोई दिल वालों की दिल्ली कहे या वे दिल की दिल्ली। लेकिन अगर देश के नए नियमों की बात हो या सजे हुए प्राचीन खंडहरों की,आखिर दिल्ली दिल को छू ही जाती है। ऐसी ही दिल्ली की तमाम बातें हैं इंडिया को नए अंदाज से भी जोड़ती हैं और हमारे देश की प्राचीन मिटटी से भी। 
तो अब हम आपको दिल्ली की उन जगहों से जागरूक कराएँगे जिनकी वजह से दिल्ली सबके दिल में बसी है फिर चाहें वह इंडियन हो या कोई विदेशी। दिल्ली में ऐसी कई जगह हैं जो दिल्ली की प्राचीनता और दिल्ली की खासियत दर्शाती हैं। जैसे- लालकिला, अक्षरधाम, हुमायु का मकबरा, जंतर मंतर, इंडिया गेट, लोटस टेम्पल, कुतुबमीनार आदि।

RED FORT

तो सबसे पहले बात करते हैं दिल्ली के दिल यानी लालकिला की। क्योंकि  जब हम दिल्ली की बात करते हैं तो लालकिला पर झंडा फहराने वाली बात जुबान पर आ ही जाती है। आपको बता दें कि लालकिला पर झंडा फहराना कोई आम बात तो है नहीं, यहाँ झंडा फहराने के लिए प्रधानमंत्री तो बनना ही पड़ता है। लेकिन अगर हम राष्ट्रध्वज को लहराते हुए भी देखते हैं तो ये नज़ारा भी देखने लायक होता है। लाल किले पर तिरंगे को लहराते देख हर भारतीय का सीना गर्व से फूला नहीं समता।

QUTUB MEENAR
दिल्ली के प्रथम शासक कुतबुद्दीन ऐवक ने सन् 1193 में अफगानिस्तान में स्थित जाम की मस्जिद से प्रेरित होकर कुतुबमीनार का निर्माण करवाया था। हालाँकि उसने मीनार बनाने की शुरुआत तो कर दी थी लेकिन वह अधूरी रह गई थी। उसके बाद ऐवक  के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने तीन मंजिलों को बढ़ाया। सन् 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने इसकी पांचवीं और अंतिम मंजिल बनबाकर इसे पूरा किया। यह मीनार लाल बलुआ पत्थर से बनी है। जिस पर कुरान की आयतों और फूल बेलों की नक्कासी की गई थी। यह मीनार दिल्ली की शोभा को और भी आकर्षित करती है दूर-दूर से पर्यटक वहां घूमने जाते हैं।

JANTAR MANTAR
जंतर मंतर का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन इसको बनाने का इतिहास बहुत ही गहरा है। जंतर मंतर इंडिया में 5 जगह बना है। दिल्ली में बने इस जंतर मंतर का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। जंतर मंतर में 13 ऐसे यन्त्र लगाए गए हैं जो गृह, नक्षत्र, सूर्य, चन्द्रमा की गति, साल में कौन सा दिन छोटा और कौन सा दिन बड़ा होता है आदि के बारे में जानकारी मिलती है। और खास बात यह है की वहां पर लगे सभी यन्त्र राजा सवाई जयसिंह द्वारा ही डिजाइन किये गए थे।


INDIA GATE
दिल्ली की शान इंडिया गेट का निर्माण उन 82 हजार भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो भारतीय सेना में भर्ती हुए और प्रथम विश्व युद्ध तथा अफगान के युद्ध में शहीद हो गए। इस स्मारक पर युनाइटेड किंगडम के कुछ सैनी, अधिकारी और 13300 भारतीय सैनिकों के नाम गेट पर उल्लिखित हैं। यह स्मारक लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ है इसकी सुंदरता दर्शकों का मन मोह लेती है। शाम के समय जब इंडिया गेट की लाइट्स ऑन होती हैं तो वहां का दृश्य देखने लायक होता है। इस स्मारक से राष्ट्रपति भवन का नज़ारा देखने लायक होता है। दिन के प्रकाश में राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच का दृश्य अत्यंत मनोरम और सुन्दर लगता है। इंडिया गेट की ऊंचाई 42 मीटर है, इसका निर्माण 1921 में शुरू होकर 1931 में पूरा हुआ। 


CHANDNI CHOWK
अगर चांदनी चौक की बात करें तो कुछ लोग, कुछ लोग दिल्ली छह तो कुछ लोग इससे पुरानी दिल्ली कहते हैं। लेकिन अगर प्राचीनतम दिल्ली छह की बात करें तो वहां की मीना बाजार पूरे विश्व में प्रसिद्द थी। मीणा बाजार के बारे में सुना कहा है कि  यहाँ महिलाओं का शोषण होता था। हालांकि यह अकबर के समय की बात है और उसे अकबर के समय में ही किरणवाला ने बंद करवा दिया था। बता दें कि चांदनी चौक अभी भी किसी न किसी चीज़ में प्रसिद्द है। जैसे- चांदनी चौक की पराठे वाली गली। जहाँ के स्वादिष्ट पराठे और चोर बाजार लोगों का मन मोह लेता है। केवल इतना ही नहीं चोर बाजार के मेवे पूरी दिल्ली में प्रसिद्ध हैं।


JAMA MASJID

हमने आपको दिल्ली की पुराणी मिटटी और वहां की खासियत तो बता दी। लेकिन  आपको बता दें कि दिल्ली में अनेकों मंदिर और मस्जिदें भी हैं जैसे- लोटस टेम्पल, जामा मस्जिद, कालका मंदिर, जहाँ लोगों की चहल-पहल हमेशा बनी रहती है। दिल्ली में जाकर दूर-दूर से लोग मुस्लिम नमाज़ अदा करते हैं। जामामस्जिद में नमाज़ अदा करके मुस्लिम लोग खुद को धन्य समझते हैं और गर्व महसूस करते हैं।

AKASHAR DHAM
ये तो रही बात मंदिर और मस्जिद की लेकिन यहाँ एक ऐसा भी धाम है जहां हिन्दुओं के आलावा हर धर्म के लोग भ्रमण करने जाते हैं। यह कोई और नहीं अक्षरधाम है। यह हमारे पुराने इतिहास को दर्शाता है यहाँ जाकर लोगों को हमारे देश के इतिहास को जानने का मौका मिलता है। क्योंकि यहाँ की दीवारों पर देश का प्राचीनतम इतिहास लिखा पाया जाता है।

इतना सब कुछ जानकर भी अगर लोग दिल्ली को वेदिल की दिल्ली कहते हैं तो यह सरासर गलत है, क्योंकि भले ही यहाँ के लोगों के दिल में दिल या न हो लेकिन यहाँ की दीवारों में तो दिल है ही, जो दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित हैं। फिर चाहें वह मंदिर, मस्जिद, पुराना किला हो या फिर कोई खंडहर। 





Comments