क्या बनें? सामाजिक कार्यकर्ता या राजनीतिक


अवधेश पांडेय (सामाजिक कार्यकर्ता) 


मान लीजिए कि दो युवा एक साथ सत्यनिष्ठा से सामाजिक कार्य प्रारंभ करते हैं। एक किसी सामाजिक समस्या जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, अस्पृश्यता, पर्यावरण संरक्षण, तालाब संरक्षण आदि। और दूसरा किसी राजनीतिक पार्टी का झोला झंडा लेकर नेता के पीछे दौड़ता है। एक दशक के कालखंड में किसकी पहचान अधिक होगी, किस युवा के सफल होने की संभावना अधिक होगी?

सामान्यतः सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान और मान-सम्मान राजनैतिक व्यक्ति से अधिक और स्थाई होती है, किंतु उसे लगातार साधना करनी होती है ऐसा देखा गया है कि कुछ समय पश्चात उसे स्वतः साधन भी उपलब्ध होने लगते हैं।

फिर भी यदि आपको राजनीतिक सफलता ही चाहिए तो आगे पढ़ें। कारण कि हर किसी के जहन में एक सवाल उठता है कि क्या राजनीति में अच्छे लोग प्रवेश न करें। आज इसी का उत्तर देने का प्रयास रहेगा। यदि राजनीति में जाना है तो आपको पता होना चाहिए कि वहाँ जाकर क्या करना है।

राजनीति में आने वाले व्यक्ति की चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि बनकर काम करने की इच्छा तो होती ही है। तो यकीन मानिये कि इसकी एकमात्र योग्यता चुनाव जीतने की क्षमता है यह क्षमता आपको आपकी पहचान से मिलती है। आप जिस चुनाव क्षेत्र में अपनी किस्मत को आजमाना चाहते हैं वहां कुछ लोग पहले से ही मजबूत उम्मीदवार होते हैं कोई धनबल से, कोई बाहुबल से तो कोई पैतृक पहचान के कारण मजबूत होता है। जो पहले से स्थापित है, वो आपको सरलता से जमने नहीं देगा। वह आपको उखाड़ फेंकना हेतु प्रयास करेगा ही, क्योंकि यही राजनीति है। इसलिए एकाध बार आपको संगठन में कोई जिम्मेदारी मिल भी गई तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। और आजीवन उसी पहचान को ढोते हुए पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता बन कार्यक्रमों की भीड़ बढ़ाते रहेंगे।
इसके बाद भी अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो मैं आपके साहस और उत्साह की प्रशंसा करता हूं।

अब आप एक काम करें, अपने घर-परिवार और मित्रों को अपने बारे में बताकर उनका समर्थन हांसिल कर लें। कारण किसी मुसीबत के समय वही काम आने वाले हैं, और कोई नहीं। कोई नेता सहानुभूति हेतु एकाध-बार आ भी गया तो भी वह आपकी मुसीबत में आपके लिए चाह कर भी कुछ अधिक नहीं कर पाएगा। यदि परिवार और मित्रों का समर्थन हो तो अपना चुनाव क्षेत्र निश्चित कर लें। वहाँ के सभी गांव-मुहल्लों, पोलिंग बूथों, प्रमुख व्यक्तियों के नाम कंठस्थ होने चाहिए, और प्रत्येक बूथ पर आपनी स्वयं की पहचान हो, ऐसी व्यवस्था करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोगों के छोटे-मोटे कार्य करने का प्रयास करें। विद्यर्थियों और युवाओं पर विशेष फोकस करें।
याद रखिये परिवार में घुलना-मिलना प्रचार का सबसे प्रभावी तरीका है। सामान्य परिवार से आकर सफलता प्राप्त करने का मंत्र यही है।
अन्यथा एक समय के पश्चात देश-प्रदेश का बड़ा नेता का स्वप्न लिए आप अपनी पूर्व जिम्मेदारी का उल्लेख कर स्वघोषित वरिष्ठ नेता बने रहेंगे और स्थापित लोगों के कार्यक्रम में भीड़ का एक भाग बने रहने के बाद सार्वजनिक जीवन की घोषणा कर देंगे।


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