सपा - बसपा के गठबंधन में आरएलडी का साथ, बंट गयीं चुनाव की सीटें





भानु प्रताप सिंह।।

लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी का विजय रथ रोकने के लिए सभी पार्टियां महागठबंधन बनाने को तैयार थीं। यहां तक कि सपा बसपा का गठबंधन हो गया। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपस में चुनाव सीटों को बांट लिया है। साथ ही राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) पार्टी ने भी सपा बसपा गठबंधन का साथ देने का फैसला कर लिया है। हालांकि आरएलडी और सपा बसपा के गठबंधन की औपचारिक घोषणा 19 जनवरी को की जाएगी। लेकिन तीनों पार्टियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी अपनी सीटें तय कर ली हैं।

कुल 22 लोकसभा सीटें हैं  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 22 सीटें हैं। जिनमें से 11 सीटें बसपा के खाते में गई हैं जिनमें से सभी मौजूदा समय में बीजेपी कब्जे में हैं । और कुल 8 सीटों पर ही समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी। बची हुई 3 सीटें आरएलडी के हिस्से में दी गईं । इन 11 सीटों में 2 पर सपा और उपचुनाव के बाद कैराना पर आरएलडी के अलावा बची हुई आठों सीटों पर बीजेपी के ही सांसद मौजूद हैं ।

आपको बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित, मुस्लिम और जाट मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को बसपा सुप्रीमो मायावती का गढ़ भी माना जाता है। यह भी एक कारण है कि बसपा को 11 और सपा को मात्र 8 सीटों पर ही चुनाव लड़ना तय किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा कुल 11 सीटों नोएडा, गाज़ियाबाद, मेरठ-हापुड़, बुलंदशहर, आगरा, फतेहपुर सीकरी, सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, नगीना और अलीगढ़ पर चुनाव लड़ेगी। साथ ही हाथरस, कैराना, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, मैनपुरी, फिरोजाबाद और एटा की लोकसभा सीट पर सपा अपना कब्जा जमाएगी। मथुरा,बागपत और मुजफ्फरनगर की सीट पर आरएलडी उतरेगी।


यहाँ हैं 30 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 22 सीटों में 1 एक दर्जन से अधिक सीटों पर मुस्लिम मतदातों की संख्या 30 फीसदी से अधिक है। जिनमें सहारनपुर में 39 फीसदी, अमरोहा में 37 फीसदी, मेरठ में 31 फीसदी, बिजनौर में 38 फीसदी, नगीना में 42 फीसदी, कैराना में 39 फीसदी, मुरादाबाद में 45 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 37 फीसदी,संभल में 46 फीसदी, रामपुर में 49 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि बागपत में 17 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। सपा के हिस्से में आई 8 सीटों में कई सीटें यादव बहुल क्षेत्र से हैं । जिसमें एटा और फिरोजाबाद भी शामिल हैं।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा के अलग अलग प्रत्याशी होने के साथ साथ मोदी लहर के कारण बीजेपी ने कई सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया था। इस बार अगर कांग्रेस पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बहुल इलाकों में मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी को  उतारती है तो चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है। फिलहाल तो अभी यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस त्रि-गठबंधन ( सपा-बसपा और आरएलडी) के खिलाफ कैसे प्रत्याशी उतारती है?  और मायावती की दलित वोट नीति प्रभाव क्या होगा?

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