बिल लाने के लिए दिमाग नहीं लगाया गया- कपिल सिब्बल


अंजली सिंह

बुधवार को पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संसद में मोदी सरकार द्वारा लाये गए सवर्ण आरक्षण पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए बिल में मौजूद कई गलतियों को सदन के सामने रखा। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए लिया गया है इसमें दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया। जिस तरह से किसी भी कानून को बनाने में या फिर संशोधन में वक्त और पर्याप्त मेहनत करनी पड़ती है इसमें ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यह सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बिना सोचे-समझे लिया गया फैसला है जिसमें कई सारी खामियां मौजूद हैं।

चर्चा के दौरान सिब्बल ने मोदी सरकार को घेरे में लिया। उन्होंने कहा कि जब देश में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था तब इसे लागू करने के लिए 10 साल पहले से ही तैयारी की गई थी। तो मोदी सरकार यह बताए कि इतना बड़ा संशोधन एक दिन में बिना कोई डेटा कलेक्ट किये  कैसे हो गया? कैसे इतने कम समय में संविधान के एक महत्वपूर्ण अंग का बदलाव कर उसे लागू करने की तैयारी कर ली? उन्होंने कहा कि ये एक अहम मामला है और सरकार उसका ढांचा बदलने जा रही है तो क्या इसके लिए पहले से कोई तैयारी की गई? सिब्बल ने कहा कि जहां लोगों को 1.25 लाख पर इनकम टैक्स देना पड़ता है तो उसे भी वजट में कर दीजिए। इसे 1.25 से हटाकर 8 लाख पर कर दीजिए।

कपिल सिब्बल ने सदन में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार संविधान के बहुत ही महत्वपूर्ण अंग में संशोधन कर रही है क्या उसने ये आंकड़ा लगाया कि इतने बड़े संशोधन के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए कितना टाइम लगेगा? क्या उन्होंने ये पता लगाया कि अलग-अलग राज्यों में सामाजिक स्थिति क्या है?  किन राज्य में कितने दलित और कितने ओबीसी आर्थिक रूप से कामजोर हैं? राज्यसभा में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार से जबाव मांगा उन्होंने कहा कि सरकार इस बात का जबाव दे कि उसने यह आंकड़ा कैसे लगा लिया कि 8 लाख से कम आय वाला व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है और उसे आरक्षण की जरूरत है।

कपिल सिब्बल ने बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डिजिटल भारत की सच्चाई यह है कि पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने केवल 45000 लोगों को नौकरी दी। उन्होंने बताया कि सन् 2001 से 2018 तक नौकरी का आंकड़ा 7.3 फीसदी रहा। इस हिसाब से मोदी सरकार के राज में नौकरी का आंकड़ा केवल 0.4% प्रति वर्ष ही रहा। जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि नौकरी की दर बढ़ने की वजह और घट गई है। इस स्थिति को देखकर अगर 5 साल में 45000 लोगों को नौकरी दी गई तो क्या मोदी सरकार 10% आरक्षण की छूट से सिर्फ 4500 लोगों को ही नौकरी देगी? उन्होंने कहा कि देश में नौकरी की दर नहीं बढ़ रही है और देश को आरक्षण नहीं नौकरी चाहिए। सरकार ने सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसी को लोगों के पीछे लगा रखा है तो निवेश कहाँ से कैसे और कौन लाएगा? उन्होंने कहा कि आखिर सरकार ने क्या सोचकर ये फैसला लिया है सरकार जब एससी-एसटी और ओबीसी को बतौर आरक्षण के नौकरी नहीं दे पा रही है तो फिर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का ऐलान कर क्या करने वाली है? आखिर क्यों मोदी सरकार ने संशोधन कर इतना बड़ा फैसला लिया? जबकि सच तो यह है कि मोदी सरकार आरक्षण के नाम पर बिल पास कराकर सिर्फ खुश हो रही है लेकिन एक सच्चाई से मुंह मोड़ रही है कि असली खुशी तो तब ही मिलेगी जब जनता खुश हो और उसे नौकरी मिले और क्या इतनी जल्दबाजी में लिए गए फैसले पर मोदी सरकार खरी उतरेगी और क्या जनता को उनके इस फैसले से खुशी मिलेगी?

कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लेकर आ रही है जबकि अनुच्छेद 15 के अनुसार यह प्रावधान सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज को आरक्षण देने का है। ऐसे में क्या उनका यह फैसला क्लास से हटकर सेक्शन की तरफ नहीं जा रहा है? सिब्बल ने पूछा कि जिस दलित परिवार को उसकी श्रेणी में होते हुए भी जिसकी आय केवल 5000-15000रु/ माह है और उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे में उसे इस सेक्शन में नहीं रखा गया क्योंकि वह सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज में आते है। और यदि 5000-15000रु/ माह कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं और उसे वीकर सेक्शन में नहीं रखा जा सकता तो फिर 60000रु/माह कमाने वाला व्यक्ति वीकर सेक्शन में कैसे आ सकता है? सरकार को इसका जवाब देने की जरूरत है। जबकि हर एक ओबीसी और दलित को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता फिर भी उन्हें वीकर सेक्शन में नहीं रखा जाता सिर्फ इसलिए कि वह क्लासेज में आते हैं। 

Comments